
गोवारी (कोपाल) समाज व्दारा पारम्परिक रिति रिवाज से सम्पन्न
कटंगी ( बालाघाट) आदीवासी गोवारी जनजाति समाज व्दारा आदिकाल से चली आ रही “देव- दियारी” एवं ‘गाय गोधन पुजा ” पर अपने ईष्ट देव खिला मुठवा नगर के कटंगी गौठान खिला मुठवा देव स्थान आखर में बड़े हर्षोल्लास एवं पारम्परिक सामाजिक संस्कृति व्दारा पुजन, जय सेवा जोहार अभिवादन के साथ सम्पन्न किया गया.
विदित हो कि, आदीवासी गोवारी (कोपाल) जनजाति समाज संस्कृति में ईस पर्व पर खिलवा मुठवा एवं ढाल (चंडी) पुजन किया जाता है! आघ धर्म गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगो व माता रायताड जंगो के प्रतीक रुप में अपने पुर्वजो के प्रतिकात्मक ढाल (चंडी) पुजन दिवाली के दिन किया जाता है.
ज्ञात हो कि गोवारी जनजाति में वर्षों से चलती आ रही अपनी आदीवासी संस्कृति परम्परा का निर्वहन पुरे रीति रिवाज ,रुढी अनुसार आज भी किया जाता है! आदिवासी गोवारी समान प्रकृति पूजा एवं पुरखा पेन पध्दति को मानता है, सामाजिक ईष्ट देव खिला मुठवा प्रत्येक गाँव के गौठान आखर में स्थापित होता है! जिसे आदीवासी समाज व्दारा पशु पक्षियों के संरक्षक एवं कृषि उत्पन्न रक्षक देवता के रूप में पुजा जाता है.
गाय गोधन पर गाय बछड़े को खिलाया जाता है ईस पर्व पर समाज के युवा, वृध्द जनो व्दारा अपने पारम्परिक वाघ यंत्र पाउल, डफली बजाकर पारम्परिक नृत्य करते हुए बिरवे गायन किया जाता है.ईस पारम्परिक पुजन पर प्रमुख रूप से उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता हरिचंद्र राउत,( आदीवासी गोवारी समाज अध्यक्ष) गोविन्द जी शेंद्रे(आदीवासी गोवारी समाज संघटक) , संतोष भोयर (आदीवासी गोवारी संघर्ष कृति समिति गोंडवाना राष्ट्रीय महामंत्री) अशोक कारसर्पे, सुखराम वाघाडे, महेश बोपचे, महेश शेंद्रे,शंकर गजबे, रामु वाघाडे, सुनिल नागोशे, हेमंत भोयर, नरेन्द्र नेवारे, प्रकाश वाघाडे, आंनद सहारे, दागेद्र राउत, अशोक राउत, स्वरूप वाघाडे, हिमांशु शेद्रे, मनोज फुन्ने, महिपाल शेद्रे, रवि वाघाडे, नरेन्द्र ठाकरे, विशाल ठाकरे, संदीप सहारे, प्रशांत वाघाडे आदि समाज बंधु प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.